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जनवरी, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

जलशुद्धीकरण

*गंगा जमुना जैसी नदीयोंका जलशुद्धीकरण संवैधानिक दायित्व* *पुरातन हजारो सालोंसे मानवी सभ्यताए नदीयोंके किनारे बसी और समृद्ध हुई है । जैसे जैसे जन संख्या बढती गई, मानवी वसाहत नदीसे दूर बसती रही। वहाॅ पानीकेलिये कुव्वे तालाबका विकल्प सामने आया । प्रादेशिक साम्राज्यवाद शुरु होनेके पहले दुनियाके सभी जलस्रोत प्रदुषणमुक्त और पानीसे संमृद्ध थे । अकालमेभी पिनेके पानीकी कमी नही होती थी । क्योंकि मानवी सभ्यता हर प्राकृतिक स्रोतको नुकसान नही करती थी, शुद्ध और समृद्ध रखती थी,जलदेवताकी पुजा होती थी । लेकिन जीस दिन बाष्पपर चलनेवाला ईंजिन पहलीबार विकसित हुआ तबसे दुनियामे औद्योगिक क्रांतीकी शुरवात हुई और तबसे हमारे प्राकृतिक जलस्रोतोंका प्रदुषण और र्‍हास शुरु हुआ । आज औद्योगिक क्रांतीके चरम सीमापर होनेपर उसके साथ साथ पाणीका प्रदुषण और र्‍हासभी चरम सीमापर पहुॅंच गया है । गंगा नदी पुरातन कालसे पवित्र मानी गई, गंगाजल पवित्र और औषधी माना गया था । क्योंकि अधिकांश गंगाजल हिमालयसे बर्फ पीघलकर शुद्ध पानीके रुपमे और बारीशका पानी हिमालयके जहरमुक्त औषधी मिट्टीमेसे छानकर शुद्ध होकर औषधीके रुपमे गंगाजीमे आता थ...

पोषक तत्व

जानिए किस किस पोषक तत्व का क्या है काम और उसकी कमी के लक्षण  जिस तरह से हर व्यक्ति को पोषक तत्वों की जरूरत होती है, उसी तरह से पौधों को भी अपनी वृद्धि, प्रजनन, तथा विभिन्न जैविक क्रियाओं के लिए कुछ पोषक तत्वों की जरूरत होती है। इन पोषक तत्वों के न मिल पाने से पौधों की वृद्धि रूक जाती है यदि ये पोषक तत्व एक निश्चित समय तक न मिलें तो पौधा सूख जाता है। वैज्ञानिक परीक्षणो के आधार पर 17 तत्वों को पौधो के लिए जरूरी बताया गया है, जिनके बिना पौधे की वृद्धि-विकास तथा प्रजनन आदि क्रियाएं सम्भव नहीं हैं। इनमें से मुख्य तत्व कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश है। नाइट्रोजन, फास्फोरस तथा पोटाश को पौधे अधिक मात्रा में लेते हैं, इन्हें खाद-उर्वरक के रूप में देना जरूरी है। इसके अलावा कैल्सियम, मैग्नीशियम और सल्फर की आवश्यकता कम होती है अतः इन्हें गौण पोषक तत्व के रूप मे जाना जाता है इसके अलावा लोहा, तांबा, जस्ता, मैंग्नीज, बोरान, मालिब्डेनम, क्लोरीन व निकिल की पौधो को कम मात्रा में जरूरत होती है। 1- नत्रजन के प्रमुख कार्य नाइट्रोजन से प्रोटीन बनती है जो जीव द्रव्य का अभ...

अनोखी_परीक्षा

*⏰ विज्ञान हमें कहां से कहां ले आया, खुद ही फैसला कर लीजिये.!!* 🧐🧐🧐🧐🧐🧐 पहले:- वो कुँए का मैला पानी पीकर भी 100 वर्ष जी लेते थे! अब:- R.O. का शुद्ध पानी पीकर 40 वर्ष में बूढ़े हो रहे हैं! 🥛 पहले:- वो घानी का कोल्हू वाला मैला तेल खाके बुढ़ापे में मेहनत करते थे।🍯 अब:- हम डबल फ़िल्टर तेल खाकर जवानी में हाँफ जाते हैं। पहले:- वो डले वाला नमक खाके बीमार नही पड़ते थे। अब:- हम आयोडीन युक्त देश का टाटा नमक खाके भी हाई-लो बीपी लिये पड़े हैं !🍧 पहले:- वो नीम, बबूल, कोयला, नमक से दाँत चमकाते थे, और 🤑 80 वर्ष तक भी चबाके खाते थे। अब:- कॉलगेट सुरक्षा वाले डेंटिस्ट के चक्कर लगाते हैं! पहले:- वो नाड़ी पकड़कर रोग बता देते थे। अब:- आज जाँचे कराने पर भी रोग नहीं जान पाते हैं! 🔦 पहले:- वो 7-8 बच्चे जन्मने वाली माँ 80 वर्ष की अवस्था में भी खेत का काम करती थी। अब:- पहले महीने से डॉक्टर 🌝 की देख-रेख में रहते हैं। फिर भी बच्चे पेट फाड़कर जन्मते हैं! पहले:- काले गुड़ की मिठाइयां ठोक-ठोक के खा जाते थे ! अब:- खाने से पहले ही शुगर की बीमारी हो जाती है!🍓 पहले:- बुजुर्गों ...

अनोखी_परीक्षा

*प्रेरणादायक कहानी* *अनोखी_परीक्षा* "बेटा! थोड़ा खाना खाकर जा ..!! दो दिन से तुने कुछ खाया नहीं है।" लाचार माता के शब्द है अपने बेटे को समझाने के लिये। "देख मम्मी! मैंने मेरी बारहवीं बोर्ड की परीक्षा के बाद वेकेशन में सेकेंड हैंड बाइक मांगी थी, और पापा ने प्रोमिस किया था। आज मेरे आखरी पेपर के बाद दीदी को कह देना कि जैसे ही मैं परीक्षा खंड से बाहर आऊंगा तब पैसा लेकर बाहर खडी रहे। मेरे दोस्त की पुरानी बाइक आज ही मुझे लेनी है। और हाँ, यदि दीदी वहाँ पैसे लेकर नहीं आयी तो मैं घर वापस नहीं आऊंगा।" एक गरीब घर में बेटे मोहन की जिद्द और माता की लाचारी आमने सामने टकरा रही थी। "बेटा! तेरे पापा तुझे बाइक लेकर देने ही वाले थे, लेकिन पिछले महीने हुए एक्सिडेंट .. मम्मी कुछ बोले उसके पहले मोहन बोला "मैं कुछ नहीं जानता .. मुझे तो बाइक चाहिये ही चाहिये ..!!" ऐसा बोलकर मोहन अपनी मम्मी को गरीबी एवं लाचारी की मझधार में छोड़ कर घर से बाहर निकल गया। 12वीं बोर्ड की परीक्षा के बाद भागवत 'सर एक अनोखी परीक्षा का आयोजन करते थे। हालांकि भागवत सर का विषय गणित थ...

आत्मनिरीक्षण और उसकी महत्ता*

🌎 *आत्मनिरीक्षण और उसकी महत्ता*                  ------------- 🌖 *"दूसरों के गुण-दोष विवेचन में मनुष्य जितना समय खर्च करता है," "उसका "एक प्रतिशत भी यदि आत्मनिरीक्षण में लगाए तो आदर्श मनुष्य बन जाए ।"* दूसरों के दोष आँख से दीख जाते हैं, *पर अपने दोषों का चिंतन, मन के शांत होने पर स्वयं करना पड़ता है ।* शरीर का दर्पण तो कारीगरों ने बना दिया है, *पर चरित्र का दर्पण अभी तक कोई नहीं बना और न बनेगा ।* जो व्यक्ति *"छिद्रान्वेषण"* करते हैं, वे प्रायः छिपकर करते हैं । पीठ पीछे सब एक दूसरे को भला-बुरा कह लेते हैं, निंदा कर लेते हैं । *हमारी बातचीत का विषय ही प्रायः "परनिंदा" होता है ।* मन में दुर्भावना रहते हुए अक्सर लोग चापलूसी भरी प्रशंसा करते रहते हैं । *मनुष्य-चरित्र की यह सबसे बड़ी कमजोरी है कि वह अपनी प्रशंसा का सदा भूखा रहता है ।* अंतिम साँस तक भी मनुष्य की यह भूख नहीं जाती । 🌒 सच्चाई तो वही है, जो हमारे अंतःकरण में छिपी है । अपना गुप्तचर आप बनकर ही हम उसका अनुसंधान कर सकते हैं । *यह आत्मपरीक्षा ही हमें, हमारे चरित्र के असली स्वरूप को...

*अपने स्वामी आप बनिए*

🌎 *अपने स्वामी आप बनिए*                  ------------- 🌔  *"आप"* का कल्याण,  *"आप"* का अभ्युत्थान, *"आप"* की स्थायी सफलता, जीवन-यात्रा की पूर्णता,  *"आप"* की स्थायी सुख-शांति, आनंद की निधियाँ,  इसी पर आधारित हैं कि *"आप"* अपने हृदय में स्थित उस केंद्र बिंदु की खोज करें, *जिसमें अपार शक्ति है, अनंत सामर्थ्य है ।* इसी सत्य को जीवन का प्रेरक बनाकर अपनी विजय का आधार बनाएँ । किनारे-किनारे भटकने के बजाय अंतर के गर्भ में ही गोता लगाएँ, पत्ती-पत्ती ढूँढने के बजाय जीवन-वृक्ष के मूल में ही विश्राम करें । 🌖 अपने अंतर को केंद्र बनाकर जीवन की गतिविधियाँ चालू रखें, जैसे सूर्य को केंद्र मानकर ग्रह-नक्षत्र चलते हैं । *अपने शासक "आप" बनें ।* दूसरे व्यक्तियों की सहायता की आशा में न बैठे  रहें, अपने अंतर के देव का आवाहन करें । *दूसरों से प्रेम करें, लेकिन उनके प्रेम के मुहताज न बनें । दूसरों से सहानुभूति रखें, उन्हें सहयोग करें, लेकिन दूसरों की सहानुभूति, सहायता की इच्छा न रखें ।* 🌒 अपने बादशाह बनकर, स्वामी बनकर जीवन का संचा...

*अपने स्वामी आप बनिए*

🌎 *अपने स्वामी आप बनिए*                  ------------- 🌔  *"आप"* का कल्याण,  *"आप"* का अभ्युत्थान, *"आप"* की स्थायी सफलता, जीवन-यात्रा की पूर्णता,  *"आप"* की स्थायी सुख-शांति, आनंद की निधियाँ,  इसी पर आधारित हैं कि *"आप"* अपने हृदय में स्थित उस केंद्र बिंदु की खोज करें, *जिसमें अपार शक्ति है, अनंत सामर्थ्य है ।* इसी सत्य को जीवन का प्रेरक बनाकर अपनी विजय का आधार बनाएँ । किनारे-किनारे भटकने के बजाय अंतर के गर्भ में ही गोता लगाएँ, पत्ती-पत्ती ढूँढने के बजाय जीवन-वृक्ष के मूल में ही विश्राम करें । 🌖 अपने अंतर को केंद्र बनाकर जीवन की गतिविधियाँ चालू रखें, जैसे सूर्य को केंद्र मानकर ग्रह-नक्षत्र चलते हैं । *अपने शासक "आप" बनें ।* दूसरे व्यक्तियों की सहायता की आशा में न बैठे  रहें, अपने अंतर के देव का आवाहन करें । *दूसरों से प्रेम करें, लेकिन उनके प्रेम के मुहताज न बनें । दूसरों से सहानुभूति रखें, उन्हें सहयोग करें, लेकिन दूसरों की सहानुभूति, सहायता की इच्छा न रखें ।* 🌒 अपने बादशाह बनकर, स्वामी बनकर जीवन का संचा...

*अपने स्वामी आप बनिए*

🌎 *अपने स्वामी आप बनिए*                  ------------- 🌔  *"आप"* का कल्याण,  *"आप"* का अभ्युत्थान, *"आप"* की स्थायी सफलता, जीवन-यात्रा की पूर्णता,  *"आप"* की स्थायी सुख-शांति, आनंद की निधियाँ,  इसी पर आधारित हैं कि *"आप"* अपने हृदय में स्थित उस केंद्र बिंदु की खोज करें, *जिसमें अपार शक्ति है, अनंत सामर्थ्य है ।* इसी सत्य को जीवन का प्रेरक बनाकर अपनी विजय का आधार बनाएँ । किनारे-किनारे भटकने के बजाय अंतर के गर्भ में ही गोता लगाएँ, पत्ती-पत्ती ढूँढने के बजाय जीवन-वृक्ष के मूल में ही विश्राम करें । 🌖 अपने अंतर को केंद्र बनाकर जीवन की गतिविधियाँ चालू रखें, जैसे सूर्य को केंद्र मानकर ग्रह-नक्षत्र चलते हैं । *अपने शासक "आप" बनें ।* दूसरे व्यक्तियों की सहायता की आशा में न बैठे  रहें, अपने अंतर के देव का आवाहन करें । *दूसरों से प्रेम करें, लेकिन उनके प्रेम के मुहताज न बनें । दूसरों से सहानुभूति रखें, उन्हें सहयोग करें, लेकिन दूसरों की सहानुभूति, सहायता की इच्छा न रखें ।* 🌒 अपने बादशाह बनकर, स्वामी बनकर जीवन का संचा...
🌎 *अपने स्वामी आप बनिए*                  ------------- 🌔  *"आप"* का कल्याण,  *"आप"* का अभ्युत्थान, *"आप"* की स्थायी सफलता, जीवन-यात्रा की पूर्णता,  *"आप"* की स्थायी सुख-शांति, आनंद की निधियाँ,  इसी पर आधारित हैं कि *"आप"* अपने हृदय में स्थित उस केंद्र बिंदु की खोज करें, *जिसमें अपार शक्ति है, अनंत सामर्थ्य है ।* इसी सत्य को जीवन का प्रेरक बनाकर अपनी विजय का आधार बनाएँ । किनारे-किनारे भटकने के बजाय अंतर के गर्भ में ही गोता लगाएँ, पत्ती-पत्ती ढूँढने के बजाय जीवन-वृक्ष के मूल में ही विश्राम करें । 🌖 अपने अंतर को केंद्र बनाकर जीवन की गतिविधियाँ चालू रखें, जैसे सूर्य को केंद्र मानकर ग्रह-नक्षत्र चलते हैं । *अपने शासक "आप" बनें ।* दूसरे व्यक्तियों की सहायता की आशा में न बैठे  रहें, अपने अंतर के देव का आवाहन करें । *दूसरों से प्रेम करें, लेकिन उनके प्रेम के मुहताज न बनें । दूसरों से सहानुभूति रखें, उन्हें सहयोग करें, लेकिन दूसरों की सहानुभूति, सहायता की इच्छा न रखें ।* 🌒 अपने बादशाह बनकर, स्वामी बनकर जीवन का संचा...