*गंगा जमुना जैसी नदीयोंका जलशुद्धीकरण संवैधानिक दायित्व* *पुरातन हजारो सालोंसे मानवी सभ्यताए नदीयोंके किनारे बसी और समृद्ध हुई है । जैसे जैसे जन संख्या बढती गई, मानवी वसाहत नदीसे दूर बसती रही। वहाॅ पानीकेलिये कुव्वे तालाबका विकल्प सामने आया । प्रादेशिक साम्राज्यवाद शुरु होनेके पहले दुनियाके सभी जलस्रोत प्रदुषणमुक्त और पानीसे संमृद्ध थे । अकालमेभी पिनेके पानीकी कमी नही होती थी । क्योंकि मानवी सभ्यता हर प्राकृतिक स्रोतको नुकसान नही करती थी, शुद्ध और समृद्ध रखती थी,जलदेवताकी पुजा होती थी । लेकिन जीस दिन बाष्पपर चलनेवाला ईंजिन पहलीबार विकसित हुआ तबसे दुनियामे औद्योगिक क्रांतीकी शुरवात हुई और तबसे हमारे प्राकृतिक जलस्रोतोंका प्रदुषण और र्हास शुरु हुआ । आज औद्योगिक क्रांतीके चरम सीमापर होनेपर उसके साथ साथ पाणीका प्रदुषण और र्हासभी चरम सीमापर पहुॅंच गया है । गंगा नदी पुरातन कालसे पवित्र मानी गई, गंगाजल पवित्र और औषधी माना गया था । क्योंकि अधिकांश गंगाजल हिमालयसे बर्फ पीघलकर शुद्ध पानीके रुपमे और बारीशका पानी हिमालयके जहरमुक्त औषधी मिट्टीमेसे छानकर शुद्ध होकर औषधीके रुपमे गंगाजीमे आता थ...
स्वास्थ्य भारत मे भारत की संस्कृति और भारत की जीवनशैली भारत की प्रगति को देख सकते हैं